नक्सलियों ने आज आमाबेड़ा थाना अंतर्गत हलाइनार और मातला के बीच सड़क निर्माण में लगे 7 वाहनों को आग के हवाले कर दिया.

पखांजुर से बिप्लब कुण्डू–23.3.22

पखांजुर–
इससे पहले नक्सलियों ने 4 मार्च को जिला मुख्यालय के करीब कलमुच्चे में सड़क निर्माण में लगे 5 वाहनों को आग के हवाले कर दिया था. वहीं आमाबेड़ा-कांकेर मार्ग स्थित गुमझिर मेले में कल नक्सलियों ने एक नगर सैनिक की हत्या कर दी थी. जबकि 20 मार्च को नक्सलियों ने कोयलीबेड़ा क्षेत्र में एक अज्ञात ग्रामीण की हत्या कर शव सड़क पर फेंक दिया था. बता दें कि जिले में सप्ताह भर से नक्सलियों का उत्पात जारी है.

फरवरी से मई के बीच बड़ी घटनाओं को अंजाम देते हैं नक्सली
मार्च महीने में नक्सलियों ने 4 बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है. नक्सल मामलों को समझने वालों की मानें तो नक्सली ज्यादातर बड़ी घटनाओं को फरवरी से मई के बीच में अंजाम देते हैं. इन 4 महीनों को नक्सलियों का टैक्टिकल काउंटर ऑफ ऑफेंसिव कैंपैन (TCOC) समय कहा जाता है. बीते 10 सालों में अब तक TCOC के दौरान 250 जवान शहीद हो चुके हैं.TCOC अभियान के दौरान ज्यादा आक्रामक होते हैं नक्सली।
पुलिस ने भी हमेशा से नोटिस किया है कि नक्सली TCOC अभियान के दौरान ज्यादा आक्रामक होते हैं. खासकर मार्च-अप्रैल और मई के महीनों में जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए उपस्थिति दिखाते हैं. इस दौरान नक्सलियों के बड़े दलम के कमांडर भी सक्रिय रहते हैं. हालांकि कई बार सुरक्षा बलों को आभास होने के बाद नक्सलियों के चंगुल से बच निकलने में भी कामयाबी मिली है, लेकिन कुछ घटनाओं में सर्चिंग पर निकले जवान बिछाए एम्बुश में फंस जाते हैं और बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है.

बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि नक्सलियों की TCOC के दौरान बस्तर पुलिस को भी बीते साल काफी उपलब्धि मिली है. इन महीनों में नक्सलियों के बड़े कमांडर भी मारे गए हैं. वहीं आईजी का कहना है कि नक्सलियों के TCOC को भेदने के लिए बस्तर पुलिस अब ऐसे इलाकों के ग्रामीणों का दिल जीत लालगढ़ में घुसकर मुंह तोड़ जवाब दे रही है. आने वाले समय में निश्चित रूप से बस्तर पुलिस को नक्सलियों को बैकफुट पर लाने में कामयाबी हासिल होगी. उनका TCOC अभियान फेल साबित होगा.
क्या होता नक्सलियों का TCOC?
TCOC (टैक्टिकल काउंटर ऑफ ऑफेंसिव कैंपेन) के तहत नए लड़ाकों को नक्सली संगठन से जोड़ते हैं. सदस्यों को जोड़ने का काम आमतौर पर पतझड़ के बाद शुरू होता है. नक्सली नए लड़ाकों को सिखाते हैं कि सही समय पर हमला कैसे करना है? रियल टाइम प्रैक्टिस और एंबुश में कैसे जवानों को फंसा कर मारा जाए? इसके अलावा ट्रेनिंग में ये भी बताया जाता है कि फायरिंग में कैसे शहीद जवानों के हथियार लूटने हैं? इसी अवधि में नक्सली संगठन का विस्तार करते हैं. नए सदस्यों को पुलिस पर आक्रमण, हथियार प्रशिक्षण और अन्य शस्त्र कला और गुरिल्ला वार का प्रशिक्षिण मिलता है. इसके अलावा व्यापारियों, ठेकेदारों, ट्रांसपोर्टरों और सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों से वसूली कर साल भर का फंड इकट्ठा करते हैं. बाकी 8 माह नक्सली छोटी वारदातों को अंजाम देते हैं.

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